IIT रुड़की का नवाचार: भूसे से बनाया गया पर्यावरणीय टेबलवेयर, प्लास्टिक प्रदूषण के लिए प्रभावी हल

रुड़की : IIT रुड़की ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। The post IIT रुड़की का इनोवेशन: भूसे से बनाए टेबलवेयर, प्लास्टिक प्रदूषण और पराली जलाने की समस्या का समाधान first appeared on radhaswaminews.

Oct 4, 2025 - 18:39
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IIT रुड़की का नवाचार: भूसे से बनाया गया पर्यावरणीय टेबलवेयर, प्लास्टिक प्रदूषण के लिए प्रभावी हल
IIT रुड़की का नवाचार: भूसे से बनाया गया पर्यावरणीय टेबलवेयर, प्लास्टिक प्रदूषण के लिए प्रभावी हल

IIT रुड़की का नवाचार: भूसे से बनाया गया पर्यावरणीय टेबलवेयर, प्लास्टिक प्रदूषण के लिए प्रभावी हल

रुड़की: IIT रुड़की ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अद्वितीय और क्रांतिकारी कदम उठाया है। इस संस्थान की इनोपैप लैब ने औरंगाबाद की पैरासन मशीनरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से गेहूं के भूसे से बने पर्यावरण-अनुकूल, बायोडिग्रेडेबल और खाद्य-सुरक्षित टेबलवेयर का निर्माण किया है।यह नवाचार न केवल एकल-उपयोग प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने में सहायक है, बल्कि पराली जलाने की गंभीर समस्या को भी प्रभावी रूप से हल करता है।

कम शब्दों में कहें तो, IIT रुड़की का यह परियोजना पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान और किसानों की आय में वृद्धि का एक महत्वपूर्ण साधन है।

भूसे से बना टेबलवेयर: तकनीक और सस्टेनेबिलिटी

यह तकनीक “मिट्टी से मिट्टी तक” के सिद्धांत पर आधारित है जो गेहूं के भूसे को मोल्डेड, जैव-अवक्रमणीय और कम्पोस्टेबल टेबलवेयर में परिवर्तित करती है। यह उत्पाद उपयोग के बाद स्वाभाविक रूप से मिट्टी में मिल जाता है, जिससे अतिरिक्त प्लास्टिक का उपयोग नहीं होता। यह तकनीक स्वच्छ भारत, आत्मनिर्भर भारत और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG 12 और 13) के अनुरूप है। IIT Roorkee Innovation

शोध और तकनीकी विकास

IIT रुड़की के कागज प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. विभोर के. रस्तोगी ने इस परियोजना का नेतृत्व किया और कहा, “हमारा शोध दर्शाता है कि फसल अवशेषों को उच्च-गुणवत्ता वाले, पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों में बदला जा सकता है।” उनका मानना है कि यह तकनीक न केवल पर्यावरण की रक्षा करती है, बल्कि आर्थिक लाभ भी प्रदान करती है।

कृषि अपशिष्ट का पुनर्चक्रण

भारत में हर साल लगभग 35 करोड़ टन कृषि अवशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसमें से अधिकांश जला दिया जाता है। इससे पर्यावरण को अत्यधिक क्षति होती है। यह नवाचार इस समस्या को हल करते हुए कृषि अपशिष्ट को संपदा में बदलने का कार्य करता है, जो चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।

राष्ट्रीय अभियानों का समर्थन

IIT रुड़की के निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत ने कहा, “यह नवाचार पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान करने और स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया जैसे राष्ट्रीय अभियानों को मजबूती देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह शोध से व्यावहारिक प्रभाव तक की यात्रा का एक शानदार उदाहरण है।”

छात्रों का योगदान

इस परियोजना में पीएचडी छात्रा जैस्मीन कौर और पोस्ट-डॉक्टरल शोधकर्ता डॉ. राहुल रंजन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह नवाचार न केवल पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान करता है, बल्कि समाज को एक स्वच्छ, स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भी सहायता करता है।

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सादर, नीतेशा शर्मा, Team Haqiqat Kya Hai

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