पौड़ी गढ़वाल की डीएम के खिलाफ अभियंताओं का विरोध, एकजुटता का महापর্ব
महानाद डेस्क : पौड़ी गढ़वाल की डीएम की द्वेषपूर्ण कार्रवाई के विरोध में एकजुट हुए इंजीनियरों ने ऑनलाइन मीटिंग कर कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि डीएम की हठधर्मिता पूर्ण कार्रवाई उनके पदीय दायित्वों के अनुरूप नहीं है। उक्त जानकारी देते हुए उत्तराखण्ड इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रांतीय महासचिव ने बताया कि डीएम, पौड़ी गढ़वाल […]

पौड़ी गढ़वाल की डीएम के खिलाफ अभियंताओं का विरोध, एकजुटता का महापर्व
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कम शब्दों में कहें तो पौड़ी गढ़वाल के अभियंताओं ने डीएम की द्वेषपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ एकजुटता दिखाई है। एक ऑनलाइन बैठक में, उन्होंने इस कार्रवाई को उनकी पदीय जिम्मेदारियों के खिलाफ बताया है।
महानाद डेस्क: पौड़ी गढ़वाल की जिलाधिकारी की कार्यशैली को लेकर अभियंता बिरोध ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण ऑनलाइन मीटिंग की। उत्तराखण्ड इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रांतीय महासचिव द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, डीएम ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए अधिशासी अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, लोक निर्माण विभाग, श्रीनगर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का कदम उठाया है। यह बात प्रदेश के अभियंताओं के बीच गहरी नाराजगी का कारण बनी है।
बैठक की मुख्य बातें
यह ऑनलाइन बैठक 14 सितंबर 2025 को आयोजित की गई, जिसमें लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, उत्तराखण्ड पेयजल विभाग, उत्तराखण्ड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड, एवं अन्य संबद्ध अभियन्ता संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक में चर्चा हुई कि 11 सितंबर 2025 को भारी वर्षा के कारण श्रीनगर से बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग लगभग 40-45 मीटर वाशआउट हो गया था, जिससे यातायात बाधित हो गया। इस मुद्दे पर अधिशासी अभियंता ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मलबे हटा दिए और मार्ग को यथाशीघ्र सुचारु करने का प्रयास किया।
डीएम की लाभदायक या हानिकारक कार्रवाई?
अभियंताओं के अनुसार, डीएम ने हर हाल में तात्कालिक सुधार के लिए दबाव डाला, जो न केवल वित्तीय अपव्यय था, बल्कि यह आने वाले हर किसी के लिए खतरा भी बन सकता था। डीएम ने अधिशासी अभियंता के बेहद जरूरी तकनीकी कार्य के बावजूद उनके खिलाफ कार्यवाही की है, जो कार्यों को गंभीरता से करने में बाधा डालता है।
क्या यह कदम केवल हठधर्मिता का परिणाम है? अभियंताओं का कहना है कि डीएम की कार्रवाई न केवल विभागीय कार्यों को प्रभावित करेगी, बल्कि यह पहाड़ी क्षेत्रों में रह रहे लोगों की सुरक्षा पर भी खतरा बना सकती है।
आंदोलन की रूपरेखा
बैठक में सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि यदि 16 सितंबर 2025 तक अभियंताओं की मांगे नहीं मानी गईं, तो 17 सितंबर 2025 को प्रान्तीय कार्यकारिणी की बैठक में आगे की रणनीति बनाई जाएगी। ज्ञात रहे कि उन्होंने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
- डीएम पौड़ी गढ़वाल द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को तुरंत निरस्त किया जाए।
- आपदा के दौरान अभियंताओं द्वारा की जा रही कार्रवाई और प्रयासों की सराहना की जाए।
- यदि जांच में डीएम की कार्यप्रणाली दोषी पाई जाती है, तो आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
- भविष्य में इस जिम्मेदारी से जुड़े अधिकारियों का चुनाव करते समय उनके अनुभव और संवेदनशीलता पर ध्यान दिया जाए।
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए। नागरिकों की सुरक्षा और विकास के लिए सही फैसले अनिवार्य हैं। अभियंता समुदाय ने एकजुटता दिखाकर यह साबित किया है कि वे किसी भी प्रकार की प्रशासनिक दमन को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
यह एक संघर्ष की कहानी है जहाँ अभियन्ताओं ने स्पष्ट किया कि उनकी मेहनत और पेशेवर जिम्मेदारियों का समुचित सम्मान होना चाहिए। यदि प्रशासनिक अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करेंगे, तो समाज में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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