नक्सलियों के खिलाफ चल रही निर्णायक मुहिम के मिलने लगे हैं बेहतर नतीजे

आमतौर पर नक्सली, आतंकवादी और अंडरवर्ल्ड के मास्टरमाइंड अपने पूरे जमात के साथ भारतीय गणतंत्र के लिए चुनौती समझे जाते हैं। इसलिए सुरक्षाबलों ने 76वें गणतंत्र दिवस से महज कुछ दिन पहले नक्सलियों के खिलाफ जो निर्णायक कार्रवाई करते हुए अंतरराज्यीय ऑपरेशन चलाए हैं और एक दर्जन से ज्यादा नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया है, वह तिरंगे और संवैधानिक गणतांत्रिक व्यवस्था को सच्ची सलामी है। इसलिए देशवासियों की अपेक्षा है कि सुरक्षा बलों की यह कार्रवाई और अधिक तेज होनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करके ही हम उनके नापाक हौसले को तोड़ सकते हैं। देखा जाए तो चाहे अंतर्राष्ट्रीय थल या समुद्री सीमा से सटे प्रदेश हों या हमारे आंतरिक प्रदेश, यहां पर नक्सलियों, आतंकवादियों और अंडरवर्ल्ड सरगनाओं की मौजूदगी और उनके मार्फ़त जब-तब होते रहने वाली हिंसात्मक घटनाएं एक ओर जहां शासन व्यवस्था और अमनपसंद लोगों को मुंह चिढ़ाती हैं, वहीं दूसरी ओर धनी लोगों के भयादोहन का कारण भी  बनती हैं। चूंकि अवैध मानव व वस्तु तस्करी, ड्रग्स सिंडिकेट, अवैध हथियारों के कारोबार, फिरौती, विवादास्पद सम्पत्तियों की खरीद-फरोख्त आदि से इनके तार जुड़े होते हैं, इसलिए सफेदपोश नेताओं-समाजसेवियों-कथित अधिकारियों-उद्योगपतियों आदि के माध्यम से इनके सरगना भी परस्पर मिले हुए होते हैं। आम धारणा रही है कि इनके खिलाफ निर्णायक कार्रवाई इसलिए भी नहीं हो पाती है, क्योंकि क्षेत्रीय दलों और स्थानीय नेताओं से इनकी गुप्त सांठगांठ रहती है! और यही इनके तार कथित राष्ट्रीय नेताओं और अर्बन नक्सलियों-अपराधियों-आतंकवादियों के सिंडिकेट तक से जोड़ते हैं। यही वजह है कि प्रशासन भी सियासी कारणों के चलते इनके खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं कर पाता है। वहीं, जम्मू-कश्मीर, पंजाब से लेकर उत्तर-पूर्वी राज्यों की आतंकी घटनाएं हों, या झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र व बिहार की नक्सली घटनाएं, या फिर बड़े महानगरों से लेकर जिलास्तरीय शहरों की अंडरवर्ल्ड वारदातें, इनके तार परस्पर जुड़े बताए जाते हैं। इसे भी पढ़ें: अमित शाह की रणनीति से नक्सलवाद पर लगामकहना न होगा कि इनमें से कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों की मजबूती के पीछे भी इनकी राष्ट्रविरोधी सोच होती हैं, जिन्हें बरास्ता नेपाल, पाकिस्तान व चीन का भी संरक्षण हासिल होता है। वहीं, कांग्रेस समेत कई बड़े क्षेत्रीय दल भी इनके नेक्सस के समक्ष घुटने टेक चुके हैं। जबकि इन सभी बातों से उलट केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी भाजपा नीत एनडीए की सरकार और उड़ीसा-छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र की भाजपा प्रदेश सरकारों की संगठित अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति से प्रोत्साहित होकर सुरक्षा बलों ने स्थानीय पुलिस के साथ संयुक्त रणनीति बनाकर नक्सलियों-दुर्दांत अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का जो बीड़ा उठाया है, उसकी एक झलक ताजा कार्रवाई से मिलती है। गौरतलब है कि भारत में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान को एक और बड़ी सफलता तब मिली, जब गत दिनों ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर क्षेत्र में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), छत्तीसगढ़ के एसओजी (स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप) और ओडिशा पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन के दौरान 14 नक्सलियों को मार गिराया गया। इस कार्रवाई में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की ओर से की गई त्वरित और रणनीतिक कार्रवाई को एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इस ऑपरेशन में बड़ी संख्या में हथियार और बाकी सामग्री भी बरामद की गई जो नक्सली गतिविधियों को और बढ़ावा दे रही थी।प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सुरक्षा बलों के इस संयुक्त ऑपरेशन में नक्सल आंदोलन का एक प्रमुख सरगना, जयराम चलपती को ढेर किया गया। क्योंकि जयराम को नक्सली हिडमा का गुरु माना जाता था और नक्सली गतिविधियों में उसकी अहम भूमिका थी। जयराम पर 1 करोड़ रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों के लिए जयराम की तलाश एक बड़ी चुनौती थी। ऐसा इसलिए कि वह नक्सलवादी समूहों के लिए एक अहम रणनीतिक सोच के रूप में काम करता था। उसकी मृत्यु से न केवल छत्तीसगढ़ और ओडिशा बल्कि पूरे देश में नक्सलवादी आंदोलन को एक बड़ा झटका लगा है।बताया जाता है कि इस ऑपरेशन को सफल बनाने में छत्तीसगढ़, ओडिशा और तेलंगाना की राज्य सरकारों ने अहम भूमिका निभाई है। इन तीनों राज्यों की पुलिस और सुरक्षा बलों ने मिलकर जयराम और उसके साथी नक्सलियों के खिलाफ लंबे समय से सख्त अभियान चलाया था। यही वजह है कि गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्वीट कर इस सफलता पर बधाई दी और सुरक्षा बलों की कड़ी मेहनत की सराहना की। उन्होंने कहा कि ये नक्सल मुक्त भारत के लक्ष्य की दिशा में एक और अहम कदम है।बता दें कि भारत सरकार का स्पष्ट लक्ष्य है कि देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त किया जाए। ये ऑपरेशन उस दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है जो सुरक्षा बलों और सरकार के प्रयासों से नक्सलवाद के खात्मे की ओर बढ़ रहा है। समझा जा रहा है कि जयराम की मौत के बाद अब नक्सलियों के मनोबल को भारी झटका लगेगा और उन्हें पुनः अपनी ताकत को संगठित करना मुश्किल होगा। सुरक्षा बलों की ये सफलता न केवल एक बड़ी सैन्य जीत है बल्कि ये देश के नागरिकों के लिए एक संदेश भी है कि नक्सलवाद का खात्मा अब बिल्कुल नजदीक है।बता दें कि एक साल पहले गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद को खत्म करने के रोडमैप को जो हरी झंडी दी थी, उसके तहत एनआईए ने नक्सलियों के खिलाफ कुल 96 मामलों की जांच कर रही है। उनकी राजनीतिक इच्छा शक्ति और सटीक रणनीति का ही यह तकाजा है कि हाल ही में 14 नक्सली एक मुठभेड़ में मारे गए हैं। उल्लेखनीय है कि एक साल पहले 21 जनवरी 2024 को गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रायपुर में छत्तीसगढ़ के शीर्ष नेतृत्व एवं सुरक्षा बलों के प्रमुखों के साथ बैठक की थी, जिसमें नक्सलवाद को खत्म करने के रोडमैप को हरी झंडी दी थी। वहीं, छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस स

Jan 23, 2025 - 17:18
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नक्सलियों के खिलाफ चल रही निर्णायक मुहिम के मिलने लगे हैं बेहतर नतीजे
नक्सलियों के खिलाफ चल रही निर्णायक मुहिम के मिलने लगे हैं बेहतर नतीजे

नक्सलियों के खिलाफ चल रही निर्णायक मुहिम के मिलने लगे हैं बेहतर नतीजे

Haqiqat Kya Hai

लेखिका: सुषमा शर्मा, टीम नीतानागरी

भारत के विभिन्न हिस्सों में नक्सलियों के खिलाफ चल रही निर्णायक मुहिम अब बेहतर नतीजे दिखाने लगी है। पिछले कुछ महीनों में सुरक्षाबलों की गतिविधियों और समर्पण ने इस संघर्ष में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं।

नक्सलवाद का विकास

नक्सलवाद, जो मूल रूप से अव्यवस्था और आतंक का कारण बनता है, पिछले कई वर्षों से भारतीय समाज में एक गंभीर मुद्दा रहा है। हाल के वर्षों में, नक्सली गतिविधियों में कमी आई है, जिसका श्रेय सुरक्षाबलों की योजना और स्थानीय निवासियों के सहयोग को दिया जा सकता है।

सुरक्षा बलों की रणनीति में बदलाव

सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ अपने संचालन में कई नई रणनीतियाँ अपनाई हैं, जैसे स्थानीय समुदायों के साथ संचार बढ़ाना, विकासात्मक योजनाओं को लागू करना, और नक्सली प्रभाव को खत्म करने के लिए व्यापक जमीनी अभियान चलाना। इन प्रयासों का परिणाम यह हुआ है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों ने सुरक्षाबलों का समर्थन बढ़ाना शुरू किया है।

सफलताएँ और उपलब्धियाँ

हाल ही में छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में सुरक्षाबलों को कई महत्वपूर्ण सफलताएँ मिली हैं। नक्सलियों के कई प्रमुख नेता पकड़े गए हैं, जिससे उनकी गतिविधियों पर लगाम लगाने में मदद मिली है। इसके साथ ही, सरकार द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यों ने भी लोगों की सोच में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब स्थानीय लोग नक्सलियों को समर्थन देने के बजाय सुरक्षाबलों के साथ खड़े हो रहे हैं।

स्थानीय समुदाय का सहयोग

स्थानीय समुदाय का सहयोग नक्सलियों के खिलाफ चल रही मुहिम की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। लोग अब समझने लगे हैं कि नक्सलवाद केवल हिंसा और सामाजिक विघटन लाता है और इससे किसी भी प्रकार का विकास नहीं होता। शिक्षा, स्वास्थ्य, और कल्याणकारी योजनाओं की मदद से सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थायी परिवर्तन लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

निष्कर्ष

नक्सलियों के खिलाफ चल रही मुहिम में सरकार और सुरक्षा बलों के संयोजन ने सकारात्मक परिणाम दिए हैं। स्थानीय निवासियों के सहयोग से नक्सलवाद को परास्त करने की दिशा में हम आगे बढ़ सकते हैं। यह समय है कि हम सभी मिलकर इस मुद्दे का समाधान करने की दिशा में प्रयास करें।

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