चावल पर ऐसा क्या बोल गए जापान के कृषि मंत्री, देना पड़ा इस्तीफा
जापान के कृषि मंत्री ने चावल खरीदने के बारे में अपनी अनुचित टिप्पणी के कारण बुधवार को अपना इस्तीफा दे दिया, क्योंकि देश के पारंपरिक मुख्य भोजन की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि वह चावल इसलिए नहीं खरीदते क्योंकि उन्हें यह मुफ़्त मिलता है। रविवार को सागा प्रान्त में एक पार्टी सेमिनार में ताकू एटो ने कहा कि उन्हें कभी चावल खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ी" क्योंकि उनके समर्थक हमेशा उन्हें यह अनाज उपहार के रूप में देते हैं। इस चूक को चावल की स्थिति के प्रति असंवेदनशील माना गया और जुलाई में होने वाले राष्ट्रीय चुनाव से पहले इशिबा की पहले से ही संघर्षरत अल्पसंख्यक सरकार के लिए यह और भी परेशानी का सबब बन सकता है। इसे भी पढ़ें: Chandrayaan-5 mission: डिजाइन फेज की शुरुआत करने वाले हैं भारत-जापान, इंजीनियरिंग मॉडल का परीक्षण हुआ पूराप्रधानमंत्री कार्यालय में अपना इस्तीफा सौंपने के बाद एटो ने संवाददाताओं से कहा कि मैंने ऐसे समय में एक बेहद अनुचित टिप्पणी की है, जब उपभोक्ता चावल की बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं। एटो ने कहा कि प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। एटो ने कहा कि मुझे लगा कि मेरे लिए प्रधान के पद पर बने रहना उचित नहीं है। ठीक वैसे ही जैसे सरकार को चावल की कीमतों की चुनौतियों से निपटने की जरूरत है।इसे भी पढ़ें: भारत-पाक तनाव के बीच जापान ने पलट दी बाजी, फंस गए धर्म के नाम पर साथ आए इस्लामिक देशएटो ने लोगों से माफ़ी मांगी और अपनी टिप्पणी भी वापस ली, उन्होंने कहा कि वे खुद चावल खरीदते हैं और चावल के उपहारों पर नहीं जी रहे हैं। इशिबा ने कहा कि वे आलोचना को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं क्योंकि वे एटो की नियुक्ति के लिए ज़िम्मेदार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि एटो के उत्तराधिकारी लोकप्रिय पूर्व पर्यावरण मंत्री शिंजिरो कोइज़ुमी होंगे। विपक्षी दलों ने धमकी दी थी कि अगर एटो बुधवार दोपहर तक स्वेच्छा से इस्तीफ़ा नहीं देते हैं तो वे उनके खिलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे। जापानी चावल की मांग दशकों से कम हो रही है क्योंकि लोगों के आहार में विविधता आई है, लेकिन चावल एक मुख्य भोजन और जापानी संस्कृति और इतिहास का अभिन्न अंग बना हुआ है।

चावल पर ऐसा क्या बोल गए जापान के कृषि मंत्री, देना पड़ा इस्तीफा
जापान के कृषि मंत्री ताकू एटो ने अपनी अनुचित टिप्पणी के कारण बुधवार को इस्तीफा दे दिया है। यह घटना तब हुई है जब देश में चावल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। एटो की विस्तृत टिप्पणी ने उन्हें विवाद में डाल दिया, जिसके कारण उन्हें अपने पद को छोड़ना पड़ा।
किस कारण से हुआ इस्तीफा?
रविवार को सागा प्रान्त में एक पार्टी सेमिनार में एटो ने कहा था कि उन्हें चावल खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ी, क्योंकि उनके समर्थक उन्हें यह अनाज उपहार के रूप में देते हैं। इस टिप्पणी को चावल की स्थिति को लेकर असंवेदनशील माना गया, खासकर जब लोग लगातार बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं। उनके इस बयान ने सामाजिक मीडिया पर काफी हलचल मचा दी, जिससे उनकी छवि को गहरी चोट लगी।
इस्तीफे का समय और उसकी प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने एटो का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। एटो ने संवाददाताओं से कहा, "मैंने ऐसे समय में एक बेहद अनुचित टिप्पणी की है, जब उपभोक्ता चावल की बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "मुझे लगा कि मेरे लिए पद पर बने रहना उचित नहीं है।" एटो ने जनता से माफी भी मांगी और यह स्पष्ट किया कि वे स्वयं चावल खरीदते हैं और केवल उपहार पर निर्भर नहीं हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि उन्होंने अपनी गलती को स्वीकार किया है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
इस इस्तीफे के परिणामस्वरूप, इशिबा की अल्पसंख्यक सरकार के लिए और अधिक चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, विशेषकर जुलाई में होने वाले राष्ट्रीय चुनावों के दौरान। विपक्षी दलों ने धमकी दी थी कि यदि एटो स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं देते हैं, तो वे उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे।
एटो के उत्तराधिकारी और भविष्य की चुनौतियाँ
संभवतः एटो के उत्तराधिकारी लोकप्रिय पूर्व पर्यावरण मंत्री शिंजिरो कोइज़ुमी होंगे। जापानी चावल की मांग दशकों से कम हो रही है, लेकिन यह चावल अभी भी जापानी संस्कृति और इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा बना हुआ है। एटो के इस्तीफे ने एक बार फिर चावल की स्थिति और उसकी कीमतों पर ध्यान आकर्षित किया है। इसे देखते हुए, आगामी सत्ताधारी सरकार को एक ठोस योजना बनाने की आवश्यकता है, ताकि उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।
चावल के इस प्रकरण ने यह साबित कर दिया है कि एक सार्वजनिक व्यक्ति को अपनी बात बहुत सावधानी से रखनी चाहिए, खासकर जब यह उनके देश के मुख्य भोजन की कीमतों से संबंधित हो। उम्मीद की जा रही है कि इस मुद्दे पर नए कृषि मंत्री तेजी से कार्रवाई करेंगे, ताकि उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।
जापान के कृषि मंत्रालय का यह मामला न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। इस घटना ने हमें यह सिखाया है कि संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का परिचय देना आवश्यक है।
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