भारत-पाकिस्तान के टेंशन में हुई तालिबान की एंट्री, काबुल में हुई मीटिंग से खौफ में शहबाज-मुनीर
काबुल में भारत और तालिबान की मीटिंग के बाद पाकिस्तान में दहशत का माहौल है। पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच भारत और अफगानिस्तान ने घुपचुप मीटिंग कर ली है। 22 अप्रैल की तारीख अब इतिहास के पन्नों में पाकिस्तान की काली करतूत के रूप में दर्ज हो चुकी है। ये वे पन्नों होंगे जो पाकिस्तान के जघन्य अपराधों को भविष्य में दुनिया के सामने रखेगा कि वो आखिर कैसे दूसरे देशों को परेशान करता है। आतंकिस्तान की फैक्ट्री कहे जाने वाला पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हो गया है। वहीं अब अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारतीय विशेष दूत आनंद प्रकाश ने सोमवार को अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात (आईईए) के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की और राजनीतिक संबंधों, व्यापार, पारगमन सहयोग और क्षेत्रीय विकास को मजबूत करने पर चर्चा की। दोनों नेताओं के बीच बैठक में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और आर्थिक तथा कूटनीतिक दोनों क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।इसे भी पढ़ें: PoK के टेरर लॉन्च पैड पर भारत की नजर, पाकिस्तान ने झटपट से आतंकवादियों को बंकरों में किया शिफ्टआनंद प्रकाश की आमिर खान मुत्ताकी के साथ यह बैठक भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुई है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान ने पाकिस्तान के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को कमतर कर दिया है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे। चर्चा के दौरान, विदेश मंत्री मुत्ताकी ने अफगानिस्तान और भारत के बीच कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों के विस्तार के महत्व को रेखांकित किया। इसे भी पढ़ें: अगर हिम्मत है तो भारत आकर दिखाएं, बिलावल भुट्टो की खून बहाने वाली धमकी पर सीआर पाटिल ने किया चैलेंजअफगानिस्तान में निवेश के लिए सकारात्मक माहौल पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने भारतीय निवेशकों को उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया, खासकर उन क्षेत्रों में जहां अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय सहयोग और विशेषज्ञता की तलाश कर रहा है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि आर्थिक विषयों के अलावा, विदेश मंत्री मुत्ताकी ने दोनों देशों के बीच लोगों के बीच संपर्क को सुविधाजनक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने व्यापारियों, चिकित्सा सेवा चाहने वाले रोगियों और शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए वीजा जारी करने की प्रक्रिया को सामान्य बनाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और राष्ट्रों के बीच अधिक विश्वास पैदा होगा।इसे भी पढ़ें: अगर हिम्मत है तो भारत आकर दिखाएं, बिलावल भुट्टो की खून बहाने वाली धमकी पर सीआर पाटिल ने किया चैलेंजभारतीय विशेष दूत आनंद प्रकाश ने अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने के बारे में आशा व्यक्त की। उन्होंने अफगानिस्तान को अपनी सहायता जारी रखने के भारत के इरादे को दोहराया। उन्होंने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करने में रुचि व्यक्त की, जिसमें विकास पहलों को फिर से शुरू करना शामिल है, जैसा कि प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है। बैठक का समापन दोनों पक्षों द्वारा द्विपक्षीय जुड़ाव को बढ़ावा देने, अधिक गतिशीलता की सुविधा के लिए वीजा प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, आधिकारिक प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और विभिन्न आर्थिक, शैक्षिक और विकास-संबंधी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के महत्व पर जोर देने के साथ हुआ।

भारत-पाकिस्तान के टेंशन में हुई तालिबान की एंट्री, काबुल में हुई मीटिंग से खौफ में शहबाज-मुनीर
Haqiqat Kya Hai
लंबे समय से जारी भारत-पाकिस्तान के तनाव के बीच, तालिबान की काबुल में एंट्री ने स्थिति को और भी पेचीदा बना दिया है। हाल ही में काबुल में हुई एक मीटिंग के बाद, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख मुनीर के बीच चिंता की लहर दौड़ गई है। यह मीटिंग तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ हुई थी, जिसमें विभिन्न रणनीतिक विषयों पर चर्चा की गई।
तालिबान का बढ़ता प्रभाव
तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से ही पूरे क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाया है, और अब उसके प्रभाव के दायरे में पाकिस्तान भी आ गया है। पाकिस्तान में आतंकवाद और उग्रवाद की समस्या ने हमेशा इस देश की सरकार को चिंतित किया है। काबुल में हुई मीटिंग के बाद, शहबाज शरीफ को यह डर सताने लगा है कि तालिबान का बढ़ता प्रभाव पाकिस्तान में भी अस्थिरता ला सकता है।
मीटिंग का महत्व
काबुल में हुई मीटिंग का आयोजन तालिबान द्वारा किया गया था, जिसमें पाकिस्तान के सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञों को भी आमंत्रित किया गया था। इस मीटिंग के दौरान, तालिबान ने अपने इरादों को स्पष्ट करते हुए संभावित सहयोग का आश्वासन दिया। लेकिन, यह भी स्पष्ट है कि पाकिस्तान को भी तालिबान के इरादों पर नज़र रखनी होगी।
किसी संघर्ष की आशंका
शहबाज शरीफ और मुनीर को यह चिंता है कि अगर तालिबान ने पाकिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की, तो इससे भारत-पाकिस्तान के संबंध और भी बिगड़ सकते हैं। यह भी संभव है कि तालिबान के समर्थन में कुछ चरमपंथी समूह सक्रिय हो जाएं, जिससे क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
निष्कर्ष
भारत-पाकिस्तान के बीच के तनाव और तालिबान की एंट्री ने पूरे दक्षिण एशिया में नई चुनौतियों को जन्म दिया है। शहबाज शरीफ और मुनीर को अपनी नीति पर पुनर्विचार करना होगा और तालिबान के इरादों को समझते हुए सही कदम उठाने होंगे। आने वाले दिनों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान इस नई चुनौती का सामना कैसे करता है। इसके साथ ही यह भी देखना होगा कि भारत की प्रतिक्रिया क्या होगी।
दस्तावेज: नेहा शर्मा, प्रियंका यादव
टीम: नेटानागरी
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