इमामोग्लू से इतना डरते क्यों हैं एर्दोआन? तुर्की से आई विद्रोह की डराने वाली तस्वीरें
तुर्की में इंस्ताबुल के मेयर और विपक्षी पार्टी के नेता की गिरफ्तारी के बाद से वहां पर भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा है। वहां पर सड़के व मेट्रो स्टेशन तक बंद कर दिए गए हैं। इसे अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन बताया जा रहा है। प्रदर्शनों को रोकने के लिए सड़क पर उतरी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच लगातार झड़प की खबरें आ रही हैं। पुलिस प्रदर्शनकारियों के खिलाफ रबर बुलेट, आंसू गैसे के गोले और मिर्ची गैस के गोले दाग रही है. सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है।क्या है पूरा मामलाइंस्ताबुल के मेयर और विपक्ष के सबसे बड़े नेता इकराम इमाम इमामोग्लू को 19 मार्च को हिरासत में ले लिया गया था। उन पर भ्रष्टाचार और आतंकवादी संगठन को समर्थन देने के आरोप लगाए गए हैं। फर्जी डिग्री रखने का भी मामला है। 19 मार्च को उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही प्रदर्शन शुरू हो गए। पहले इंस्ताबुल फिर अंकारा और धीरे धीरे दर्जनों शहरों में ये प्रदर्शन फैल गया। 100 से ज्यादा लोगों को इस प्रदर्शन में हिरासत में लिया गया है। इनमें पत्रकारों, एक्टिविस्ट, डॉक्टरों के अलावा अलग अलग प्रोफशन के लोग शामिल हैं। 19 मार्च से हिरासत में रहे इमामोग्लू की 23 मार्च को आधिकारिक रूप को उनकी गिरफ्तारी हो गई है। 19 मार्च ही वो दिन था जब विपक्ष इमामोग्लू को अपना राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करने वाला था। इसे भी पढ़ें: Pakistan के प्यारे अर्दोआन देश छोड़कर भाग गए? तुर्की में बवाल की असली कहानी क्या हैपुलिस ने किया आंसू गैस का इस्तेमालइस्तांबुल के मेयर एक्रेम इमामोग्लू की गिरफ़्तारी के बाद , 23 मार्च की रात और सोमवार सुबह तक आयोजित प्रदर्शनों में पुलिस ने तुर्की के अंकारा में प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस का इस्तेमाल किया। डोकुज़8 न्यूज़ की पत्रकार युसरा बतिहान द्वारा फ़िल्माए गए फुटेज में पुलिस अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों की एक बड़ी भीड़ पर पानी की बौछारें करते हुए दिखाया गया है, जो राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन का विरोध करने वाले कई अन्य नेताओं के साथ इमामोग्लू की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ मार्च कर रहे थे। एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, एर्दोगन के प्रशासन ने कहा कि गिरफ़्तारियाँ कथित भ्रष्टाचार और आतंकवाद से संबंधों की जाँच का हिस्सा थीं। एर्दोगन ने कहा कि सड़कों पर उतरने, वामपंथी संगठनों, हाशिए पर पड़े लोगों और उपद्रवियों को अपने साथ लेकर चलने और राष्ट्रीय इच्छा पर उंगली उठाने के दिन अब खत्म हो गए हैं। वे दिन जब राजनीति और न्याय सड़क पर आतंक से निर्देशित होते थे, वे पुराने तुर्की के साथ-साथ अतीत की बात हो गए हैं। हम निश्चित रूप से सीएचपी और उसके समर्थकों को उकसावे के माध्यम से सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने और हमारे देश की शांति को भंग करने की अनुमति नहीं देंगे।

इमामोग्लू से इतना डरते क्यों हैं एर्दोआन? तुर्की से आई विद्रोह की डराने वाली तस्वीरें
Haqiqat Kya Hai
लेखिका: सुषमा शर्मा, टीम नेतानागरी
तुर्की की राजनीति में इमामोग्लू का नाम तेजी से चर्चा में आ रहा है। उनके उदय को देखकर राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोआन के माथे पर शिकन देखी जा सकती है। इससे यह सवाल उठता है कि इमामोग्लू से एर्दोआन को इतनी परेशानी क्यों है? तुर्की में विद्रोह की डराने वाली तस्वीरों ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है। आइए इस पर विस्तार से चर्चा करें।
इमामोग्लू का उदय
इमामोग्लू, जो कि इस्तांबुल के मेयर हैं, ने अपने कार्यकाल में कई सुधार किए हैं जो आम जनता के दिलों में एक नई उम्मीद जगाए हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाचें में सुधार पर जोर दिया है। उनके समर्थक मानते हैं कि वे लोकतंत्र के सच्चे पहरुए हैं और एर्दोआन के निरंकुश शासन को चुनौती दे रहे हैं।
एर्दोआन का डर
एर्दोआन का इमामोग्लू से डरना कोई नई बात नहीं है। जब से इमामोग्लू ने मेयर का पद ग्रहण किया है, तब से एर्दोआन और उनकी पार्टी को खतरे का आभास हो रहा है। उनका मानना है कि इमामोग्लू की लोकप्रियता न केवल तुर्की में उनके सत्ता के लिए, बल्कि उनकी राजनीतिक विरासत के लिए भी खतरा साबित हो सकती है।
विद्रोह की तस्वीरें
हाल ही में तुर्की से आई विद्रोह की तस्वीरें यह दर्शाती हैं कि समाज में असंतोष का स्तर बढ़ रहा है। लोग सड़क पर उतर आए हैं और सरकार के खिलाफ अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं। यह तस्वीरें एक विशाल जनसैलाब को दर्शाती हैं, जो कि बदलाव की चाह में सजग हैं। एर्दोआन की सरकार के खिलाफ यह विद्रोह सिर्फ इमामोग्लू के प्रति असंतोष नहीं बल्कि पूरे राजनीतिक तंत्र के खिलाफ एक संकेत है।
क्या आगे बढ़ेगा बदलाव?
इमामोग्लू की बढ़ती लोकप्रियता और विद्रोह की तस्वीरें तुर्की की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती हैं। यदि स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया, तो एर्दोआन को सोचना पड़ेगा कि वो अपने शासन को कैसे बनाए रख पाएंगे। तुर्की के लोग अब ज्यादा जागरूक और संगठित हो चुके हैं, और बदलाव की इस लहर को खुद से दूर नहीं कर सकते हैं।
निष्कर्ष
इमामोग्लू और उनकी ताकत एर्दोआन के लिए चुनौती बन गई है। उनके बढ़ते प्रभाव और विद्रोह की तस्वीरें बता रही हैं कि तुर्की में चीजें बदलने जा रही हैं। महत्वपूर्ण यह है कि यह बदलाव लोकतांत्रिक तरीके से आए, ताकि तुर्की के लोग सही मार्ग पर आगे बढ़ सकें।
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