अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप व एलन मस्क के बीच बढ़ती दूरियों के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मायने को ऐसे समझिए!
'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' के स्वप्नद्रष्टा और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और स्पेसएक्स और टेस्ला प्रमुख अमेरिकी टेक अरबपति एलन मस्क के बीच उपजा मनमुटाव देश-दुनिया के पूंजीवादी लोकतांत्रिक सियासत और प्रशासन के लिए शोध का विषय है। क्योंकि इसका असर न केवल अमेरिका के लोगों बल्कि पूरी दुनिया के मनोमस्तिष्क पर पड़ना लाजिमी है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप व एलन मस्क के बीच बढ़ती दूरियों के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मायने आईने की तरह साफ हैं! जिसे समझने की जरूरत है, क्योंकि ट्रंप दुनिया के थानेदार समझे जाते हैं।हालांकि, इनके बीच की दरकती हुई दोस्ती से वह भारतीय कहावत पुनः चरितार्थ हुई है जिसमें अक्सर नेताओं संग दोस्ती की तुलना वैश्या संग प्रेम से की जाती है, यानी कि क्षणभंगुर समझा जाता है। समझा जाता है कि वेश्यागामी की संपत्ति लूट जाने के बाद या वेश्याओं के जीवन में किसी अन्य धनाढ्य व्यक्ति के प्रवेश पा लेने के पश्चात उसका पहले वाला प्रेम जिस प्रकार से समाप्त हो जाता है। कुछ वैसा ही हश्र नेताओं के साथ यारी-दोस्ती रखने वाले व्यक्तियों/कार्यकर्ताओं का होता है, क्योंकि जब वह किसी नेता के लिए व्यक्ति प्रबंधन, बूथ प्रबंधन या कार्यदक्षता प्रबंधन के लायक नहीं रह जाता है तो फिर नेता भी उससे मुख मोड़ लेता है। उसके कोई काम नहीं करता और न ही आगे बढ़ने देता है। मेरा मानना है कि ट्रम्प की शातिर सियासी टीम ने उद्योगपति ऐलन मस्क के साथ भी कुछ वैसा ही किया होगा, जैसा कि आमतौर भारतीय राजनीति में नेताओं के शागिर्द गुल खिलाते रहते हैं। आपको बता दें कि नेताओं के शागिर्द में देशी-विदेशी बड़े-बड़े नेता, अधिकारी, उद्योगपति, सामाजिक हस्तियां, चर्चित सेलिब्रिटी, पत्रकार, अधिवक्ता, अपने-अपने पेशे के सफल पेशेवर आदि होते हैं, जिनके बीच एक दूसरे की उड़ती पतंग काटने की होड़ मची रहती है। इसलिए समझदार लोग नेताओं से याराना या नेताईन से यारी रखने के दौरान बेहद चौकन्ने रहते हैं। यही वजह है कि स्पेसएक्स और टेस्ला प्रमुख अमेरिकी टेक अरबपति एलन मस्क ने ट्रंप प्रशासन के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) यानी खर्च कटौती विभाग से अलग होने का एलान किया है।इसे भी पढ़ें: उसूलों पे जहां आंच आये टकराना जरूरी है...130 दिनों में ही Team Trump से मस्क के ड्रामेटिक Exit का MRI स्कैनदरअसल, 29 मई 2025 दिन गुरुवार को मस्क ने एक्स पर लिखा, "विशेष सरकारी कर्मचारी के रूप में मेरा तय समय पूरा होने पर, मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे फालतू खर्च को कम करने का मौका दिया।" उल्लेखनीय है कि उन्हें 'स्पेशल गवर्नमेंट एम्प्लाई' का दर्जा मिला था जिसके तहत हर साल 130 दिनों तक उन्हें संघीय नौकरी में रहने की इजाज़त थी। इस साल 20 जनवरी को ट्रंप के शपथ ग्रहण से जोड़ा जाये तो वैसे भी उनके कार्यकाल की सीमा 31 मई 2025 के अंत में ख़त्म होने वाली थी।अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार बताते हैं कि मस्क का सरकार से बाहर निकलना दरअसल ट्रंप के बजट से 'निराशा' जताने के बाद हुआ, जिसमें मल्टी-ट्रिलियन डॉलर की टैक्स छूट और रक्षा खर्च को बढ़ावा देने वाले प्रस्ताव मौजूद हैं। जहां ट्रंप ने अपने बजट बिल को 'बड़ा और सुंदर' बताया था, वहीं मस्क ने इस बिल की आलोचना की थी। जबकि यह बिल राष्ट्रपति ट्रंप के एजेंडे का अहम हिस्सा है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि बुधवार (अमेरिकी समयानुसार) से मस्क के 'स्पेशल गवर्नमेंट एम्प्लाई' दर्जे को ख़त्म कर दिया जाएगा। लेकिन मस्क का बाहर होना सिर्फ ट्रंप सरकार में एक बड़े उलट फेर को ही नहीं दर्शाता है, बल्कि कुछ आगे की रणनीतिक विफलता की भी चुगली करता है, क्योंकि मस्क रिपब्लिकन पार्टी के सबसे बड़े डोनर रहे हैं। उन्होंने पिछले साल क़रीब 25 करोड़ डॉलर का चंदा दिया था।समझा जाता है कि इतने बड़े डोनेशन के बाद उनके और ट्रंप के बीच नज़दीकियां बढ़ गई थीं। हालांकि इस दौरान उनकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के मुनाफ़े में भारी गिरावट देखी गई। वहीं, टेस्ला ने हाल ही में निवेशकों को चेतावनी दी थी कि वित्तीय मुश्किलें जारी रह सकती हैं। कंपनी ने ग्रोथ का पूर्वानुमान देने से इनकार करते हुए कहा कि 'राजनीतिक सेंटिमेंट में बदलाव', वाहनों की मांग को काफ़ी हद तक नुक़सान पहुंचा सकती है। लिहाजा मस्क ने पिछले महीने निवेशकों से कहा था कि डीओजीई में उनकी व्यस्तता काफ़ी कम हो जाएगी और वह टेस्ला को अधिक समय दे पाएंगे। दरअसल, सरकारी भूमिका निभाने से मस्क की कंपनियों, खासकर टेस्ला पर नकारात्मक असर पड़ा है। टेस्ला का मुनाफा 71 प्रतिशत तक गिरा है। मस्क की व्यावसायिक और राजनीतिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन को लेकर उनके निवेशकों में भी चिंता होने लगी थी।राजनीतिक व प्रशासनिक मामलों के जानकारों के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन में एक अहम पद पर रहते हुए एलन मस्क कई बार विवादों में भी घिरे रहे, जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति की देशी साख तक प्रभावित हुई और विदेशों में भी उनकी आलोचना हुई। इसलिए आइए एक नज़र डालते हैं उन चुनिंदे विवादों पर जिससे मस्क को इस नौबत तक पहुंचना पड़ा।पहला, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बजट की आलोचना उन्हें नहीं करनी चाहिए थी, क्योंकि वह उनके बेहद करीब थे। यही वजह है कि बजट बिल की आलोचना के बाद एलन मस्क और ट्रंप के बीच दूरियां बढ़ने लगी थीं। ट्रंप ने बजट विधेयक पेश किया था जिसे बहुत कम अंतर के साथ पिछले हफ़्ते यूएस हाउस ऑफ़ रेप्रेज़ेंटेटिव्स ने पास किया। अब यह बिल सीनेट के पास जाएगा। जबकि मस्क ने एक मीडिया साक्षात्कार में कहा था कि इस बिल से संघीय घाटा बढ़ेगा और ये बिल डीओजीई में किए जा रहे 'कामों को कमज़ोर' करता है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि 'ट्रंप की योजना बजट घाटे को कम करने की जगह बढ़ाएगी।'लेकिन इस बजट बिल को ट्रंप ने 'बड़ा और सुंदर' बताया था, इस पर मस्क ने कहा, "यह बिल बड़ा या सुंदर हो सकता है? मुझे नहीं पता कि ये दोनों हो सकता है।" गौरतलब है कि इस बिल में चार ट्रिलि

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप व एलन मस्क के बीच बढ़ती दूरियों के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मायने को ऐसे समझिए!
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इस लेख में, हम अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के बीच बनी दूरियों के न केवल राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में महत्व का गहराई से विश्लेषण करेंगे। जैसा कि हम जानते हैं, 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' के स्वप्नद्रष्टा ट्रंप का प्रशासन और टेस्ला एवं स्पेसएक्स के CEO मस्क के बीच का संबंध हमेशा से आकर्षण और विवाद का स्रोत रहा है। लेकिन हाल के घटनाक्रम ने इस संबंध में दरारें पैदा कर दी हैं, जिसका प्रभाव केवल अमेरिका की राजनीति तक सीमित नहीं है।
ट्रंप और मस्क: एक नई दिशा की ओर
हालिया घटनाओं के अनुसार, मस्क ने ट्रंप प्रशासन के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) से अपने संबंधों को समाप्त करने की घोषणा की है। यह निर्णय उस वक्त आया जब मस्क ने ट्रंप के बजट पर अपनी नाखुशी व्यक्त की, जिसमें रक्षा खर्च को बढ़ावा देने वाले पहलों को प्रमुखता दी गई थी। यह कदम मस्क के लिए एक बड़ा बदलाव की ओर इशारा करता है। ठोस नीतियों के विकास के लिए दोनों के बीच की दूरी, अमेरिका के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है।
आर्थिक नीतियों पर निखरती दूरियाँ
मस्क के बाहर निकलने का कारण उनके और ट्रंप के बीच के मतभेदों में गहराई से स्थित है। जहां एक ओर ट्रंप अपने बजट को 'बड़ा और सुंदर' बताते हैं, वहीं मस्क ने इसे संघीय घाटे में इजाफा करने वाला बताया है। अमेरिकी राजनीति में इस तरह के मतभेद आम हैं, लेकिन मस्क का इस तरह की नकारात्मक बयानबाजी करना संभावित खतरे की संकेत देता है। वह अपने व्यवसायिक हितों को प्राथमिकता देते हुए ट्रंप प्रशासन के प्रति अपने विचार खोलकर रख रहे हैं।
व्यापारिक संबंधों में प्रभाव
इस नए बदलाव का असर केवल राजनीतिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि व्यापार क्षेत्र में भी साफ नजर आता है। मस्क की टिप्पणी और उनका डीओजीई से हटना, वैश्विक निवेशकों के लिए एक चेतावनी है कि अमेरिका में नीतियों की स्थिरता नहीं है। इससे अमेरिका में निवेश करने की प्रवृत्ति में कमी आ सकती है, जो कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव डाल सकती है।
भारत के संदर्भ में
भारत में भी इस स्थिति का स्वागत है, क्योंकि मस्क की कंपनियाँ जैसे टेस्ला, भारतीय बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती हैं। मस्क के इस निर्णय का भारत के उत्थान में भी योगदान हो सकता है, हालांकि इसका दीर्घकालिक प्रभाव पूरी तरह से अबूझ है।
निष्कर्ष
ट्रंप और मस्क के बीच बढ़ती दूरियों का असर न केवल अमेरिका की आर्थिक नीतियों पर पड़ेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्थिति को प्रभावित करेगा। यह समझना ज़रूरी है कि इस रिश्ते की जटिलता को देखते हुए, भविष्य में ट्रंप प्रशासन और मस्क के संबंध कैसे विकसित होंगे। याद रखें, इतिहास में जितनी तेजी से दोस्ती बनी, उतनी ही तेजी से यह दूरियाँ भी बढ़ी हैं।
- लेखिका, सुमन शर्मा, टीम haqiqatkyahai
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