Gopal Krishna Gokhale Birth Anniversary: नरम दल के नेता थे गोपाल कृष्ण गोखले, गांधी जी मानते थे राजनीतिक गुरु

आज ही के दिन यानी की 09 मई को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष के दौरान गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म हुआ था। वह एक प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। वह एक समाज सुधारक थे, जिनका लक्ष्य अहिंसा की विचारधारा को आगे बढ़ाना था। गोपाल कृष्ण गोखले जन-जन तक शिक्षा को पहुंचाना चाहते थे। वहीं उन्होंने सभी तरह के जातीय भेदभाव को खत्म करने के लिए कई तरह के काम किए थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर गोपाल कृष्ण गोखले के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और शिक्षारत्नागिरी में 09 मई 1866 को गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम कृष्णा राव गोखले और मां का नाम वलूबाई गोखले था। वह एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे। लेकिन वह एक मेधावी छात्र थे। गोखले के मन में हमेशा राष्ट्रभक्ति की भावना थी। जिसने आगे चलकर उनको देश के लिए बहुत कुछ करने के लिए प्रेरित किया था। साल 1881 में गोखले ने मैट्रिक की परीक्षा पास की और साल 1882 में राजाराम कॉलेज से आगे की पढ़ाई पूरी की। उनको हर महीने छात्रवृत्ति भी मिला करती थी।इसे भी पढ़ें: Rabindranath Tagore Birth Anniversary: रोशनी जिनके साथ चलती थीकांग्रेस अध्यक्ष बने गोखलेबता दें कि कानून की पढ़ाई करने के बाद गोपाल कृष्ण गोखले राष्ट्रभावना के चलते नरम दल के नेता के रूप में काम करते रहे। वह साल 1905 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। फिर साल 1907 आते-आते यह पार्टी दो टुकड़ों में बंट गई। हालांकि वैचारिक मतभेद होने के बाद भी उन्होंने गरम दल के नेता लाला लाजपत राय की रिहाई के लिए अंग्रेजों के खिलाफ अभियान चलाने का काम किया था।उन्होंने अपनी जीवनकाल में कई क्रांतिकारी परिवर्तन किए थे। गोखले ने साल 1905 में भारतीय शिक्षा के विस्तार के लिए सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की थी। गोखले का मानना था कि भारतीयों को इस तरह की शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए, जो उनके मन में नागरिक कर्तव्य और देशभक्ति की अलख जगाए।इसके बाद साल 1912 में गोपाल कृष्ण गोखले ने दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी से मुलाकात की थी और उन्हीं के अनुरोध पर गांधी जी भारत आए थे। वहीं महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' में उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु बताया था।मृत्युभारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी गोखले भारत भूमि को गुलामी से आजाद कराने के लिए देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत थे। वहीं 19 फरवरी 1915 को उनका निधन हो गया था।

May 10, 2025 - 00:39
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Gopal Krishna Gokhale Birth Anniversary: नरम दल के नेता थे गोपाल कृष्ण गोखले, गांधी जी मानते थे राजनीतिक गुरु
Gopal Krishna Gokhale Birth Anniversary: नरम दल के नेता थे गोपाल कृष्ण गोखले, गांधी जी मानते थे राजनीतिक गुरु

Gopal Krishna Gokhale Birth Anniversary: नरम दल के नेता थे गोपाल कृष्ण गोखले, गांधी जी मानते थे राजनीतिक गुरु

हकीकत क्या है - गोपाल कृष्ण गोखले, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रारंभिक दिनों के एक प्रमुख नेता थे। उनकी जयंती पर हम उनके जीवन और योगदान पर चर्चा करेंगे। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि महात्मा गांधी ने उन्हें अपना राजनीतिक गुरु माना था।

गोपाल कृष्ण गोखले का जीवन और शिक्षा

गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के रत्‍नागिरी जिले के एक गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपनी मातृभूमि पर प्राप्त की और बाद में आगे की पढ़ाई के लिए मद्रास और इंग्लैंड गए। गोखले एक प्रबुद्ध और विद्वान् नेता थे, जिन्होंने अपने विचारों और विचारधारा के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया।

राजनीतिक करियर और नरम दल की स्थापना

गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नरम दल के प्रमुख नेताओं में से एक थे। नरम दल का उद्देश्य शांतिपूर्ण ढंग से सुधार लाना और भारतीय समाज में जागरूकता फैलाना था। गोखले का मंतव्य था कि केवल परामर्श और संविधान के माध्यम से ही हम स्वतंत्रता की ओर बढ़ सकते हैं। इस दृष्टिकोण के कारण उन्हें गांधी जी का राजनीतिक गुरु माना जाता था।

सामाजिक सुधारों में योगदान

गोखले ने शिक्षा, जातिवाद और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करने का प्रयास किया और समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ जोर दिया। उनके विचारों से प्रभावित होकर अनेक युवा स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लिया।

गोखले की विचारधारा और प्रभाव

गोपाल कृष्ण गोखले की विचारधारा का प्रभाव भारतीय राजनैतिक जीवन पर गहरा रहा। उनके सिद्धांतों ने महात्मा गांधी को भी प्रभावित किया, जिन्होंने उनकी शिक्षाओं को अपने राजनीतिक दृष्टिकोण में समाहित किया। गाँधी जी ने गोखले को 'हिन्दुस्तान का मंदिर' कहा, जो अपने विचारों की रोशनी से भारत को आलोकित करता था।

निष्कर्ष

गोपाल कृष्ण गोखले का योगदान और उनकी विचारधारा आज भी हमें प्रेरित करती है। उनकी जयंती पर हमें उनसे सीख लेने और उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। आज का युवा वर्ग गोखले के विचारों से प्रेरित हो सकता है और इसे अपने जीवन में उतार सकता है, ताकि भारत को एक उन्नत और समृद्ध राष्ट्र बनाया जा सके।

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