भारत से पंगा ना ले छोटे, भाई शहबाज को समझाने के लिए लंदन से लौटे नवाज शरीफ, दी खास सलाह
पहलगाम हमले और सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के फैसले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने भाई और वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को बढ़ते संकट को कम करने के लिए कूटनीतिक दृष्टिकोण को अपनाने की सलाह दी है। पहलगाम हमले के मद्देनजर भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद, नवाज शरीफ अपने भाई प्रधानमंत्री की मदद करने के लिए लंदन से पाकिस्तान लौट आए। उनके आगमन के बाद, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि शरीफ ने पीएमएल-एन सुप्रीमो को भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक में लिए गए निर्णयों के बारे में जानकारी देने के बाद पीएमएल-एन सुप्रीमो को कूटनीतिक रूप से तनाव कम करने की सलाह दी थी। इसे भी पढ़ें: Pakistan की संसद में शहबाज की औकात पर चर्चा, गीदड़ से की गई तुलनाऐसा कहा गया कि शरीफ चाहते हैं कि पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच शांति बहाल करने के लिए सभी उपलब्ध राजनयिक संसाधनों का उपयोग करे, उन्होंने कहा कि वह आक्रामक रुख अपनाने के इच्छुक नहीं हैं। इससे पहले 2023 में नवाज शरीफ ने भारत के साथ अच्छे संबंधों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा था कि 1999 में उनकी सरकार को इसलिए हटा दिया गया था क्योंकि उन्होंने कारगिल युद्ध का विरोध किया था। द न्यूज इंटरनेशनल के अनुसार नवाज ने कहा था कि पीएमएल-एन ने हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन हमेशा सत्ता से बाहर कर दिया गया।इसे भी पढ़ें: माहौल बिगाड़ा तो...ट्रंप की शहबाज शरीफ को लास्ट वार्निंगनवाज ने कहा था कि मैं जानना चाहता हूं कि 1993 और 1999 में मेरी सरकारों को क्यों उखाड़ फेंका गया। क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमने कारगिल युद्ध का विरोध किया था। नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे, जब 12 अक्टूबर 1999 को तख्तापलट के जरिए उनकी सरकार गिरा दी गई थी। पिछले साल नवाज ने यह भी माना था कि पाकिस्तान ने 1999 में भारत के साथ हुए समझौते का 'उल्लंघन' किया था। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए। उसके बाद वाजपेयी साहब यहां आए और हमारे साथ समझौता किया। लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया...यह हमारी गलती थी। Stay updated with Latest International News in Hindi on Prabhasakshi

भारत से पंगा ना ले छोटे, भाई शहबाज को समझाने के लिए लंदन से लौटे नवाज शरीफ, दी खास सलाह
Haqiqat Kya Hai - पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ हाल ही में लंदन से लौटे हैं, जहाँ उन्होंने अपने छोटे भाई शहबाज शरीफ से मुलाकात की। इस दौरान उन्हें भारत के साथ संबंधों को लेकर काफी महत्वपूर्ण सलाह दी गई। आइए, जानते हैं किस तरह की बातचीत इस मुलाकात में हुई।
शहबाज शरीफ को दी सलाह
Nawaz Sharif ने अपने छोटे भाई को सलाह दी है कि भारत के साथ संबंधों को लेकर अत्यधिक सावधानी बरती जाए। यह सलाह महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ समय से पाकिस्तान और भारत के बीच संबंधों में खटास आई है। Nawaz का मानना है कि किसी भी तरह की अव्यवस्था या विवाद सिर्फ पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि क्षेत्र के सभी देशों के लिए हानिकारक हो सकता है।
लंदन में हुई बातचीत के मुख्य बिंदु
लंदन में नवाज और शहबाज के बीच हुई बातचीत में निम्नलिखित मुख्य बिंदु सामने आये:
- भारत के साथ बातचीत का मुद्दा: Nawaz ने सुझाव दिया कि बातचीत से ही समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
- आंतरिक स्थिरता: उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को पहले अपने घरेलू मुद्दों को सुलझाना चाहिए।
- अंतरराष्ट्रीय समर्थन: Nawaz ने यह भी बताया कि भारत के साथ मिलकर काम करना पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर छवि बनाने में मदद कर सकता है।
भारत-पाकिस्तान रिश्तों का महत्व
भारत और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से जटिल रहे हैं। हाल के समय में, दोनों देशों के बीच कई बार बातचीत का प्रयास किया गया है, लेकिन परिणाम हमेशा सकारात्मक नहीं रहे। इस बातचीत में नवाज शरीफ का यह कहना महत्वपूर्ण है कि हमे समझदारी से एक-दूसरे से बात करनी चाहिए, ना कि शत्रुता बढ़ानी चाहिए।
नवाज का परिपक्व दृष्टिकोण
Nawaz Sharif की उम्दा राजनीतिक समझ और अनुभव को ध्यान में रखते हुए, उनकी बातें सुनना बेहद जरूरी है। उनके अनुसार, पाकिस्तान को पहले अपने आंतरिक मुद्दों को सुलझाना चाहिए, और फिर भारत के साथ खुलकर बातचीत करनी चाहिए। इस तरह की जानकारी और सलाह से पाकिस्तान बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
नवाज शरीफ की सलाह को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि भाई शहबाज को भारत के साथ संबंधों को लेकर एक सोच-समझकर कदम उठाने की आवश्यकता है। इससे ना केवल पाकिस्तान की छवि बेहतर होगी, बल्कि दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंध स्थापित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया जा सकता है।
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