देश की आज़ादी के लिए समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी: मोहम्मद बरकतउल्ला की 171वीं जयंती पर श्रद्धांजलि 

प्रशांत सी. बाजपेयी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष करने वाले महान क्रांतिकारी, The post देश की आज़ादी के लिए समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी: मोहम्मद बरकतउल्ला की 171वीं जयंती पर श्रद्धांजलि  first appeared on radhaswaminews.

Jul 8, 2025 - 09:39
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देश की आज़ादी के लिए समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी: मोहम्मद बरकतउल्ला की 171वीं जयंती पर श्रद्धांजलि 
देश की आज़ादी के लिए समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी: मोहम्मद बरकतउल्ला की 171वीं जयंती पर श्रद्धांजलि 

देश की आज़ादी के लिए समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी: मोहम्मद बरकतउल्ला की 171वीं जयंती पर श्रद्धांजलि

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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष करने वाले महान क्रांतिकारी, मोहम्मद बरकतउल्ला की 171वीं जयंती पर आज पूरे देश में श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। वे उन गिने-चुने योद्धाओं में से थे, जिन्होंने देश से बाहर रहते हुए भी ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला दिया।

समर्पित जीवन और संघर्ष

मोहम्मद बरकतउल्ला का जन्म 7 जुलाई 1854 को मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था। अपनी अदम्य साहस और देश प्रेम के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने अमेरिका, यूरोप, जर्मनी, अफगानिस्तान, जापान और मलाया जैसे देशों में भारतीय समुदाय के बीच आज़ादी की अलख जगाई। जहाँ भी गए, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी सुलगाई।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर आवाज़ उठाते हुए

विदेशों में रहकर मोहम्मद बरकतउल्ला ने क्रांतिकारी भाषणों और लेखों के माध्यम से अंग्रेजों की नीतियों को बखूबी बेनकाब किया। 1897 में इंग्लैंड में उनकी मुलाकात श्यामजी कृष्ण वर्मा, लाला हरदयाल और राजा महेंद्र प्रताप जैसे क्रांतिकारियों से हुई। इस मुलाकात ने उनके विचारों को नई दिशा और गति दी।

भारत की अस्थायी सरकार की नींव

बरकतउल्ला ने अफगानिस्तान में ‘सिराज-उल-अख़बार’ के संपादक के रूप में कार्य किया और 1915 में काबुल में ‘भारत की अस्थायी सरकार’ की स्थापना की, जिसमें वे पहले प्रधानमंत्री बने। इस सरकार के अध्यक्ष राजा महेंद्र प्रताप सिंह थे। यह एक ऐतिहासिक क्षण था जब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने एक नया मोड़ लिया।

जापान में क्रांतिकारी गतिविधियाँ

1904 में वे जापान पहुंचे, जहाँ टोक्यो विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर के रूप में कार्य करते हुए क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। उन्होंने जापानी सरकार से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में समर्थन देने की अपील की और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की आवाज़ को बुलंद किया।

गदर पार्टी के संस्थापक सदस्य

मोहम्मद बरकतउल्ला गदर पार्टी के संस्थापक सदस्यों में भी शामिल रहे। 1913 में गठित इस पार्टी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष का मार्ग अपनाया, जो अपने समय की सबसे चर्चित क्रांतिकारी गतिविधियों में से एक थी।

विचार और योगदान

बरकतउल्ला का विश्वास था कि मार्क्सवाद और धार्मिक आत्मा एक ही उद्देश्य के लिए कार्य करते हैं - उत्पीड़ितों को गरिमा और न्यायपूर्ण जीवन प्रदान करना। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं, जब हम स्वतंत्रता के साथ न्याय, समानता और बंधुत्व की बात करते हैं।

निष्कर्ष

मोहम्मद बरकतउल्ला की जयंती पर पूरे देश ने उन्हें कृतज्ञता के साथ नमन किया। वे सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो सीमाओं से परे, स्वतंत्रता के लिए एक वैश्विक चेतना बन गए। इस अवसर पर, हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके योगदान को हमेशा याद रखेंगे।

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