बंगला अपने नाम कराकर बेटे ने मां-बाप को निकाला घर से बाहर, डीएम ने वापिस दिलवाया

सुहानी अग्रवाल देहरादून (महानाद) : जैसे ही मां-बाप ने अपनी गाढ़ी कमाई से बनाया हुआ बंगला अपने बेटे के नाम किया वैसे ही कलियुगी बेटे ने अपने मां-बाप को उनके ही घर से बाहर निकालने की साजिश शुरु कर दी और पौते-पौती को भी उनसे दूर कर दिया। तहसील, थाना, अवर न्यायालय से थक हार […]

Jul 21, 2025 - 09:39
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बंगला अपने नाम कराकर बेटे ने मां-बाप को निकाला घर से बाहर, डीएम ने वापिस दिलवाया
बंगला अपने नाम कराकर बेटे ने मां-बाप को निकाला घर से बाहर, डीएम ने वापिस दिलवाया

बंगला अपने नाम कराकर बेटे ने मां-बाप को निकाला घर से बाहर, डीएम ने वापिस दिलवाया

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सुहानी अग्रवाल

देहरादून (महानाद) :

एक दुर्बल वाकिया, जिसमें एक बेटे ने अपने माता-पिता को विश्वासघात करते हुए उनके द्वारा कमाई गई सम्पत्ति को अपने नाम करवा लिया और उन्हें उनके ही घर से बाहर निकालने की कोशिश की। यह घटना तब सामने आई जब बुजुर्ग दंपति ने अपने बेटे के नाम 3080 वर्ग फुट का बंगला गिफ्ट डीड के माध्यम से किया। इसके बाद बेटे ने न केवल माता-पिता से दूर रहना शुरू कर दिया, बल्कि अपने बच्चों को भी दादा-दादी से मिलने से रोका।

डीएम सविन बंसल का निर्णायक कदम

जब माता-पिता को अपने बेटे के व्यवहार का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने तहसील, थाना और अवर न्यायालय से काफी कोशिश की। थक गए दंपति अंततः डीएम सविन बंसल की अदालत में पहुंचे। उन्होंने अपने बेटे द्वारा किए गए विश्वासघात की गिफ्ट डीड को रद्द कराने की पेशकश की। डीएम बंसल ने इस मामले में त्वरित निर्णय लेते हुए केवल तीन दिनों में संज्ञान लिया और गिफ्ट डीड को रद्द कर दिया।

बुजुर्ग दंपति की कहानी

प्रमजीत सिंह और अमरजीत कौर, यह बुजुर्ग दंपति, जो अपनी मेहनत की कमाई से घर बनाते हैं, अब अपने बेटे के कारण संकट में आ गए थे। गिफ्ट डीड के अनुसार, पुत्र को अपने माता-पिता का ख्याल रखने और उन्हें किसी प्रकार की परेशानी में न डालने की शर्त थी। लेकिन घर का नाम उनके होने के बाद गुरूविंदर सिंह ने इन शर्तों का उल्लंघन किया।

जिला प्रशासन की न्याय तत्परता

यह मामला डीएम सविन बंसल की सजगता का एक उदाहरण है। जिला प्रशासन ने बुजुर्ग दंपति को न्याय दिलाने के लिए त्वरित कार्रवाई की। उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई का आश्वासन दिया। जो लोग सामाजिक जिम्मेदारियों से विमुख हैं, उनके लिए यह एक संदेश है कि कानून हमेशा उनके पक्ष में खड़ा होगा।

निष्कर्ष

न्याय का यह पहलू, खासकर बुजुर्गों के अधिकारों का सम्मान और संरक्षण, सामाजिक जिंदा रहने की एक आवश्यकता है। डीएम सविन बंसल ने इस मामले को संभाला और निष्पक्षता के साथ न्याय प्रदान किया। अब यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे मामलों में आगे भी ऐसी ही निष्पक्षता और त्वरित न्याय मिलता रहे।

बुजुर्ग दंपति की आंखों में आनन्द के आंसू थे, जब उन्होंने सोमवार को डीएम बंसल से आदेश प्राप्त किया। यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत कहानी है, बल्कि यह समाज में एक सजीव उदाहरण है कि कैसे मीडिया, जिला प्रशासन और समाज मिलकर न्याय की स्थापना कर सकते हैं।

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