दून में ब्रांडेड कंपनियों की नकली जीवन रक्षक दवा बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़
Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड की एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने स्वास्थ्य सुरक्षा के खिलाफ एक गंभीर खतरे का पर्दाफाश करते हुए एक बड़ी कार्रवाई में नकली दवाइयों के गिरोह के सरगना और फैक्ट्री मालिक को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह देश की प्रतिष्ठित दवा कंपनियों की जीवन रक्षक दवाइयों की हूबहू नकल तैयार कर बाजार … The post दून में ब्रांडेड कंपनियों की नकली जीवन रक्षक दवा बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ appeared first on Round The Watch.

दून में ब्रांडेड कंपनियों की नकली जीवन रक्षक दवा बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़
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Author: Neha Sharma, Priya Verma, and Aditi Joshi
Team haqiqatkyahai
सारांश
उत्तराखंड की एसटीएफ ने स्वास्थ्य सुरक्षा के खिलाफ एक गंभीर खतरे का पर्दाफाश करते हुए एक बड़ी कार्रवाई में नकली दवाइयों के गिरोह के सरगना और फैक्ट्री मालिक को गिरफ्तार किया है।
मुख्य घटना
देहरादून से अमित भट्ट की रिपोर्ट: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक विस्तृत छापेमारी में एक नकली दवा उत्पादन फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। यह कार्रवाई जीवन रक्षक दवाइयों की मानक गुणवत्ता को नुकसान पहुँचाने वाले गिरोह के खिलाफ की गई। एसटीएफ ने मुख्य आरोपी देवी दयाल गुप्ता सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जो दिल्ली में स्थित थे।
फैक्ट्री का संचालन
गिरोह का नेतृत्व कर रहे देवी दयाल गुप्ता की कंपनी, Dr. Mittal Laboratories Pvt. Ltd., सहसपुर क्षेत्र में अवैध गतिविधियों में संलिप्त थी। एसटीएफ द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, गुप्ता ने 2021 से 2025 के बीच करीब 1 करोड़ 42 लाख टैबलेट्स और 2 लाख से अधिक कैप्सूल का उत्पादन किया। इन नकली दवाइयों को जानी-मानी कंपनियों जैसे Pantaprazole, Diclocin SP, और Amlodipine के नाम से बेचा जाता था।
आरोपियों की गिरफ्तारी
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में संतोष कुमार, नवीन बंसल, आदित्य काला और देवी दयाल गुप्ता शामिल हैं। पिछले महीने भी एसटीएफ ने संतोष कुमार को भारी मात्रा में नकली दवाओं के साथ गिरफ्तार किया था, जिससे यह बड़ा मामला सामने आया। यह कार्रवाई एसटीएफ और पुलिस विभाग के बीच बेहतर समन्वय का परिणाम है।
स्वास्थ्य और सुरक्षा पर खतरा
एसटीएफ ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जनता से अपील की है कि वे दवाइयों की खरीद में सावधानी बरतें। नकली दवाओं का सेवन सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य को जोखिम में डाल सकता है और यह सरकार के राजस्व को भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।
क्या करें?
एसटीएफ ने उपभोक्ताओं से आग्रह किया है कि वे दवाइयों की खरीदारी करते समय ब्रांड नाम, बैच नंबर, और QR कोड की अच्छी तरह से जांच करें। यदि किसी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि देखी जाए, तो संबंधित विभाग या पुलिस को तुरंत सूचित करें।
निष्कर्ष
यह मामला न केवल देहरादून में स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति चिंता बढ़ाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे अवैध गतिविधियाँ समाज में गंभीर खतरे का कारण बन सकती हैं। एसटीएफ की सजगता से ऐसा बड़ा गिरोह पकड़ में आया है, जो सामान्य लोगों की जान से खेल रहा था। हमें सजग रहने की आवश्यकता है और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए।
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